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Relation between your nature and diseases : अपने स्वभाव और बीमारियों में क्या संबंध है? जानिए……

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Relation between your nature and diseases : अपने स्वभाव और बीमारियों में क्या संबंध है?

तो आइए अब जानते हैं कि मन, भाव, विचार, प्रकृति कैसे और कहां प्रभावित होती है…

1) अहंकार से हड्डी में अकड़न आती है।
2) आत्मग्लानि(जिद्दी) की आदत के कारण पेट के विकार।
3) अत्यधिक गुस्सा और चिड़चिड़ापन लीवर और गॉल ब्लैडर को नुकसान पहुंचाता है।
4) अत्यधिक तनाव और चिंता से अग्न्याशय क्षतिग्रस्त हो जाता है।
5) डर से किडनी और ब्लैडर को नुकसान पहुंचता है।
6) सुस्त वृत्ति गले और फेफड़ों के रोगों का कारण बनती है।
7) हमारी वही वास्तविकता / मैं वही पूर्व दिशा कहूंगा, ऐसी अटकलें कब्ज की ओर ले जाती हैं।
8) दु:ख को दबाने से फेफड़े और बड़ी आंत की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
9) बेचैनी, अति उत्साह और जल्दबाजी जैसी आदतें हृदय और छोटी आंत को नुकसान पहुंचाती हैं।
10) स्वार्थी लोगों को सबसे ज्यादा बीमारियां इसलिए होती हैं क्योंकि वे देना नहीं चाहते, इसलिए जिन धातु पदार्थों को शरीर नहीं चाहता, उन्हें ठीक से बाहर नहीं फेंका जाता और बीमारियां पैदा हो जाती हैं।
11) प्रेम/स्नेह शांति और संतोष देकर मन और शरीर को मजबूत करता है।
12) एक मुस्कान न केवल खुद को बल्कि दूसरे को भी खुश करती है।

13) हंसी के साथ खेलने से तनाव कम होता है।

तो अब अपने क्रोध, विचारों, भावनाओं, अहंकार, स्वार्थ को नियंत्रित करने का प्रयास करें। हँसना, खेलना, प्रसन्न होना, सन्तुष्ट होना, सुखी होना, सन्तुष्ट होना अर्थात आप स्वस्थ और तंदुरुस्त हो जायेंगे।

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